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Wednesday, December 17, 2008

आईना



आईना
अपनी वाणी को झोली में बांध
दुछत्ती पर चढा मैं खूश हूं
भूल चुकी कभी मैं भी
प्रतिक्रिया व्यक्त करती थी
होते देख अन्याय सुलग पडती थी
अब नजरिया बदल
हर बात में कारण खोज लेती हूं
ऐसा तो होना ही था
मान लेती हूं
गलती शायद मेरी ही है
खुद को समझा लेती हूं
कई बार आइने में
अपनी शख्सियत खोजी
एक परछाईं तो दिखती है
पर मैं कहां हूं ?
अभी तक नहीं जान पायी
तुम कहते हो शायद मैं मर चुकी
नहीं ऐसा नहीं
बिल्कुल नहीं
मैंने अपना वज़ुद खोया
पर
कितनों के चेहरे की हंसी बनी
मेरा परिचय- नारी हूं
मात्र नारी

Wednesday, March 12, 2008

हां,मैं नारी हूं




नारी, तुम नारी हो
सब कहते रहे
मैं लडती रही
जूझती रही
सब कुछ बदला
पर मुझे लेकर
मानसिकता नहीं
अब मैं थक चुकीं हूं
आक्षेपों से
अवहेलनाऒं से
हां! मैं नारी हूं
सिर्फ नारी


Monday, September 3, 2007

यादें

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

मुंदी पलकें बुने ख्वाब

पल-पल किया तुम्हें याद

तुम नहीं आये

यादें,बातें घेरे रही

डाल आलिंगन भीचें रहीं

पर

तुम नहीं आये

ख्वाब कतरा-कतरा

अश्क बन बह चलें

पर

तुम नहीं आये

अश्कों को,ख्वाबों को

बातों को ,यादों को

आहिस्ता से

फिर से सहेजा

नये सिरे से मुंदी पलकें

तुम आये

हाँ

तुम आये

अर्थी को मेरे कांधा देने

अब तुम हो

मगर

मैं बीती याद बन

चल पडी

अन्तहीन सफर को

अब

तुम्हारी खुली आंखों में

अश्क हैं-यादें हैं

कसक है -मलाल है

पर

अब हम नहीं

Saturday, July 28, 2007

कविता

आधुनिक जीवन शैली की देन कि आदमी भीड में भी तन्हा है-

आदमी
मैं अवसादों से घिरा एक आम आदमी
दिक-भ्रमित,विश्रान्त आदमी
अनिश्चय की साकार मूर्ति
मैं एक क्लान्त आदमी
बाहें पसारें समा लेने को सारा जग
पर पाता मृग-मरीचिका शून्य
एक बार फिर मैं असहाय आदमी
उद्वेलित, आलोडित एकाकी आदमी

Saturday, July 21, 2007

अंतर्मन

अंतर्मन




मैं नहीं चाहती मौन रहना


पर मेरी मुखरता मुझ अकेली की नहीं है,


तमाम नारियों का प्रतिनिधित्व करती हूँ।


कुछ किताबों में पढी आदर्श बातें,


चन्द भाषणों के अंश,


कुछ टिप्पणियां


और


कुछ कसकता मेरा अंतर्मन।


मैं चिल्लाना चाह कर भी मौन हूँ,


भीड में कौन सुन पायेगा,


समर्थन दे पायेगा?


मेरा अंतर्मन वाचाल है,मुखर है्।


मैं नहीं चाहती मौन रहना


पर क्या कोई इसे सुन पायेगा,


हाँ! सुनकर


सदियों से चली आ रही परम्परा का


पाठ जरुर पढायेगा।


नारी होने का अहसास जरुर करायेगा,


कुछ नहीं तो मौन रहने का भाषण जरुर दे जायेगा


नहीं चाहती मैं मौन रहना!!