आज सुबह से ही फोन पर फोन आ रहे थे। बधाई देने के लिये। अरे-अरे हंसिये मत इसका वेलेंन्टाइन डे से कुछ लेना-देना नहीं। आज दिन है हमारी शादी की २३वीं सालगिरह का । शादी की याद आते ही उससे जुडी तमाम यादें,बातें ज़ेहन में घूम जाती है। कुछ खट्टी कुछ मीठी।
शादी के कुछ महीने पहले मम्मी यानि (सास)का पत्र आया।मजमून कुछ इस तरह था-अनु रानी हमारे यहां नई दुल्हन से गाना गवाया जाता है। ये एक रस्म है इसलिये गाना अभी से सीख लेना। पत्र पढते ही दिमाग भन्ना गया। हम तो गलती से घरवालों की उपस्थिति में बाथरुम में भी नहीं गुनगुनाते फिर यहां तो सबके सामने गाने की बात है। मम्मी समझा-समझा कर परेशान कि संगीत स्कूल चली जाऒ। जब भी मम्मी समझाने की कोशिश करती मैं कूद कर इस बात पर आ जाती कि -" लडकी हूं ना इसलिये ये सब दादागिरी। मैं जैसी हूं उसमें क्या? आप मनीष को क्यों नहीं कहती कि हमारे यहां भी रस्में होती हैं और उसे भी करनी पडेगी। वो मानेगा क्या?" ऒर भी ढेर सारे ऊल-जलूल तर्क-कुतर्क करती।
ये सिलसिला और लडाई कई दिनों चली। मेरी खास सहेली साधना इन सब बातों की चश्मदीद थी। उस दिन वो बिना बोले साइकिल लेकर चल दी। थोडी देर बाद एक मध्यवय के सज्जन के साथ हारमोनियम लिये हाजिर। ये है ,इसे सीखाना है। मैं इस अप्रत्याशित हरकत के लिये तैयार नहीं थी। खैर इधर-उधर की बातों के बाद उन्होनें गाने को कहा-ज़िद या संकोच कि गले से आवाज़ निकलने को तैयार नहीं। तीन-चार दिन की समझाइश के बाद एक फिल्मी गाना गुनगुनाया । लय-ताल , सुर सब बेताल ये दीगर बात की अभी तक उनसे दोस्ती नहीं हो पाई।
रहीम सर हमारी आवाज़ से खासे प्रभावित गिरते -पडते बस एक गाना वो सिखा पाये"आज खेलो श्याम संग होरी पिचकारी रंग भरी केसर की"इस गाने में गले को अच्छी खासी मशक्कत करानी पडती थी। भैया की शादी हमसे तीन-चार दिन पहले हुई थी। भाभी से जब गाने को कहा गया तो बिना एक सैंकंड गवाये दनादन ढोलक को थाप दे दे गाना सुनाया "मेरी नई -नई सासों के नखरे नये,बागों में जाये तो माली मटके" जब डांस की फरमाइश हुई तो एक की जगह तीन-चार गानों पर नाच कर दिखा दिया। नेग चार हुये ,सारे रिश्तेदार खुश सुघड बहू आई है।
अब मम्मी की वक्र दृष्टि हम पर थी। कि हम ना जाने क्या गुल खिलायेंगें अपनी ससुराल में।आखिरी पांच दिन में अब नये सिरे से गाना चुना गया-"जिभिया चटापट हुइबे ऒ हम खइबे जलेबिया ,सासु को दइबे बियाज में हम खइबे जलेबिया। ऐसे एक-एक करके सारे रिशतेदारों को ब्याज में दे देना था। जब भी गाने की कोशिश करते बराबर के भाई-बहिन टांग खिंचाई शुरु कर देते। देखो कितनी चटोरी है। दूसरा बोलता अरे किसी को मत छोडना उठा-उठा कर ब्याज में देते रहना एक-एक को। हम शादी को इन्जाय करने की बजाय पूरे समय आशंकित थे कि तब क्या होगा।
शादी के बाद की वो घडी भी आ गई -गोल घेरा बना कर सारे रिश्तेदार इर्द-गिर्द उत्सुकता के साथ कुछ अच्छा सा सुनने की उम्मीद लगाये एक-टक देख रहे थे। ऐन मौके पर हिम्मत जवाब दे गई। आवाज़ साथ देने को तैयार नहीं। हमारे मौन को मम्मी अपनी अवमानना मान कर नाराज़ सी लग रही थी। मनीष शुरु में मज़ा ले रहे थे,पर बाद में उनकी आंखों में हमारे लिये दया स्पष्ट दिख रही थी। पापा ने बात सम्भाली चलो छोडो अब तो ये यहीं है फिर कभी सुन लेना। लेकिन बुआ जी वगैरह छोडने के मूड में कतई नहीं थी। इस ना-नुकर के बीच कई धैर्यहीन श्रोतागण खिसक लिये। ये देख हमने राहत की सांस ली कि चलो कम लोगो के सामने मखौल उडेगा और फिर गाना सुना ही दिया। सब बडे खुश थे कि शगुन पूरा हुआ। मम्मी भी अब प्रसन्न थी बाद में बोली "तुम बेकार डर रही थी"।अब लगता है कि ये रस्में बडे सोच-समझ कर बनायीं गईं हैं कि नई दुल्हन नये परिवेश में सबसे घुल-मिल जाये और उसकी झिझक भी कम हो जाये।
Thursday, February 14, 2008
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25 comments:
anuradha ji,
shubh din par shubh kaamnayen.
anuradha ji,
saalgirah ki dheron shubh kaamnayen
आपका आपकी शादी की वर्षगाठ मंगलमय हो, बधाई
अनुराधा जी,
बड़ा ही सुन्दर प्रसंग, सच में बहुत अच्छा लगा आपकी सुन्दर शैली में आपकी शादी का ये वाकया मेरी आँखों मे एक एक चित्र सा उभर आया..
शादी की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो..
आज का दिन आपके लिये डबल-मजा वाला दिन है..
प्रेम-दिवस + पाणिग्रहण सालगिरह
एक बार पुनः अनेकानेक शुभकामनायें..
-राघव
शादी की सालगिरह पर शुभकामनाएं !
बधाई हो
शादी की वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाई-अब खिलाओ मिठाई. :)
बधाई जी।
एक दिन ब्लॉग को ब्याज में दे कर जलेबी खाइये! :-)
पिछले 23 साल से अब मनीष जी गा रहे है क्या और रस्में निभा रहे हैं भई वाह, हम तो अब वो जलेबी वाला गाना पूरा सुनना चाह्ते हैं अब तो झिझक नहीं न तो देर किस बात की है शुरु हो जाइए, ये लिजिए हार्मोनियम …।:)शादी की सालगिरह मुबारक हो
हमारी ओर से भी शुभ-कामनाएं...
मज़ा आ गया । शानदार लिखा है । ऐसा लगा जैसे हम भी थे आपकी शादी में ।
बधाई हो!!! अब तो दो पार्टी उधार रही एक तो कृति की जॉब की और यह आपके एनीवर्सरी की भी!!!
badhai ho
Happy Marriage anniversery to you 7 Manish bhai --
& many more ...
मुझको भी गाना सुनना है... और यही जलेबी वाला :D
anuradha jee,
bhai wah, kya baat hai aap logon ne to is parampara ko tab jee liya tha jab shaayad ye chalan mein bhee nahin thaa. valeintaaeen day ko shaadee . ye to aaj har premi kaa sabse bada sapna hota hai shaayad.
देर से ही सही लेकिन सालगिरह पर मुबारकवाद स्वीकार कीजिए.
nice reading you. apki writing mei flow kamaal ka hai.padh kar achha laga.
अनुराधा जी
मेरे ब्लॉग पर आने और ग़ज़ल पसंद करने का तहे दिल से शुक्रिया.
आप स्वयं इतना भाव पूर्ण लिखती हैं की क्या कहूँ. देर से टिप्पन्नी देने के लिए क्षमा.
स्नेह बनाये रखें.
नीरज
मै फिर उपलब्ध हूँ अपने बकवास के साथ एक बार जरूर दर्शन देवेँ. दर्शन देने के लिए यहाँ क्लिक करेँ .
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अनुराधा जी ,थोडी देर से ही सही ,हमारी ओर से भी शादी की सालगिरह की बधाई ,आप लिखती बहुत अच्छा हे,ओर हां आप का धन्यवाद भी तो देना हे,
बडा ही रोचक प्रसंग है। लेकिन लगता है अभी तक इसपर "एकता" जी दिव्य दृष्टि नहीं पडी। वैसे आपने संस्मरण को बहुत सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है। बधाई स्वीकारें।
अनुराधा जी,
मुझे बहुत देर हो गयी यहाँ आने मे फिर भी बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकार कर लेंगी एसी आशा है :)
मेरे ब्लॉग पर आपकी टिप्पणियों के लिये बहुत शुक्रिया..
स्नेह बनाएँ रखें.
रचना.
www.rachanabajaj.wordpress.com
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