कृति का फोन था खुशी से लरजती आवाज़ "मां इन्फोसिस में मेरा सलेक्शन हो गया"सुन कर राहत की सांस ली। भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि उसका आत्मविश्वास डिगा नहीं। पहली बार में असफलता हाथ आने पर निराशा की भावना बलवती हो जाती। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पिछले दो दिनों से उसे लेकर बेहद परेशान थी। परीक्षा के तीन दिन बाद ही कैम्पस सलेक्शन के लिये इन्फोसिस आ रही है। मानसिक रुप से कोई भी इतनी जल्दी इन्फोसिस के लिये तैयार नहीं था। पर उसके लिये कुछ नहीं किया जा सकता था। कृति बी टेक थर्ड इयर की छात्रा है। उसका 11 को एप्टीट्यूड का टेस्ट हुआ। शाम तक रिजल्ट आना था। फिर कटलिस्ट बन कर इन्टरव्यू होना था। एप्टीट्यूड टेस्ट देते ही फोन आया। मां पेपर अच्छा नहीं हुआ । मेरा क्या होगा? मैंने उतने ही शान्त स्वर में कहा कोई बात नहीं दूसरी कम्पनी भी तो आयेंगी उसमें ज्यादा मेहनत करके देना। बस सुनते ही बिफर गयी "जानती हो ,ऐसे मौके मुशकिल से मिलते हैं"। जितना गुबार ,दुख,आक्रोश वो निकाल सकती थी वो निकाला हमेशा की तरह मां थी ना सुनने के लिये। उसकी पुरानी आदत है-परेशान होगी तो तुरन्त फोन करके बतायेगी। समझाऔ तो लडेगी पर फिर थोडी देर में फोन करके सॉरी बोलेगी तरह -तरह से मनायेगी कि आपको नहीं कहूंगी या आपसे नहीं लडूंगी तो किसको कहूंगी बोलो मां। मैं इन्तज़ार करती रही पर फोन नहीं आया। शाम को फोन आया सॉरी मां परेशान थी टेस्ट क्लियर हो गया मां अब थोडी देर बाद इन्टरव्यू है । हो तो जायेगा ना मां। हां बोलो मां। "हां हो जायेगा - पर तुम अनावश्यक दिमाग पर बोझ मत लो अपनी तरफ से पूरा प्रयास करो। क्या होगा वो मत सोचो अभी। ऐसा कहीं होता है क्या मां? अच्छा पहले फ्री हो जाऒ फिर बात करते हैं। रात नौ बजे उसने बताया कि इन्टरव्यू हो गया पर कुछ कहा नहीं जा सकता। उसकी आवाज़ साफ बता रही थी कि वो बेहद परेशान है। अब मेरी बारी थी समझाने की। "देखो जो होगा अच्छे के लिये होगा चिन्ता मत करो। नहीं होगा तो सोचो कोई ज्यादा अच्छा मौका मिलने वाला है"। जाऒ घर जाकर अब रेस्ट करो पूरा दिन हो गया। ठीक है और बात खत्म । सुबह में पूरी तरह से जागी भी नहीं थी की कृति का फोन- मां हो जायेगा ना? हां बोलो मां। मैं उसकी आवाज़ की व्याकुलता से भीग सी गई- हां हो जायेगा बेटू टेन्शन क्यों करती हो। अच्छा, आज इतनी सुबह कैसे जागी? नींद नहीं आयी मां। कालेज भी जाना है आज दूसरे कालेज भी जाना है वहां भी कम्पनी आयी है। जाऊं या नहीं? ये तो तुम्हें सोचना है। ठीक है मां। दिन भर थोडी-थोडी देर बाद फोन आते रहे। "हां बोलो मां' बस एक ये ही बात।
कृति शुरु से ऐसी ही है। छोटी थी तो चिपकु बच्चा थी। सामने दिखती रहती तो खेलती ना पा कर पूरा घर सिर पर उठा लेती। कभी-कभी शाम को गोदी में बैठ कर मेरे दोनों हाथ पकड कर बैठ जाती आज मेरी मम्मी काम नहीं करेगी। मैं शर्म से पानी-पानी कि घर वाले क्या सोचेंगें। अम्मा से फर्माइश होती- हलवा बनाऔ, फिर पूरी कढाई पर कब्जा जमा कर बैठ जाती कि बस मैं और मम्मी खायेंगें। नहाने जाती तो बाथरुम के बाहर डेरा डाल कर बैठ जाती। हां इति के होने के बाद थोडा परिवर्तन जरुर आया। धीरे-धीरे जिम्मेदारी का भाव भी आता गया घर से बाहर निकलने पर आत्मविश्वास भी बडा।
दिल के गवाक्ष खुले हैं और यादों की मंजूषा भी। फिर से फोन की घंटी बज रही है। अब तफ्सील से हर बात बतायी जायेगी । आज अहसास हुआ कि बच्चे बडे हो गये हैं । वक्त ना जाने कैसे इतनी तेजी से गुजर गया पता ही नहीं चला।
15 comments:
कृति को बधाई हो,
और कृति की मां को भी बधाई
anuradha jee,
saadar abhivaadan. kriti ko haamaare shubhkaamna aur haan aapkee lekhnee mein ek alag hee kashih hai.
कृति और आपको बधाई... अपने कॉलेज के दिन और नौकरी के समय की बेचैनी याद आ गई... मेरा भी यही हाल था ...
बहुत बहुत मुबारक हो अनुराधा जी, बच्चों को बचपन में खेलते देख पता ही नहीं चलता की वो कब बडे हो जाते हैं. धीरे-धीरे स्कूल, कॉलेज खत्म करके जब वो पहली जॉब के लिये जाते हैं तब माता-पिता को आभास होता है कि, अरे! मेरे बच्चे तो बडे हो गये हैं!
pryas.wordpress.com
वाह!
क्या ख़बर दी है! मज़ा आ गया...
पार्टी उधार रही... वो तो हम ले ली लेंगे... मेरी ओर से कृति को भविष्य के लिये ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ दीजियेगा।
बधाई ! ऐसी खुशियाँ मिलती रहें .. बच्चे बड़े अच्छे होते रहें ..
भले ही कितनी भी मेहनत की हो लेकिन जब कैरियर की बात होती है तो अच्छे अच्छे अपने आप पर संदेह करने लगते हैं. कुछ महीने पहले मेरी हालत भी ऐसी ही थी. :)
कृति को बधाई.
वाह, बधाई, यह तो बड़ी अच्छी खबर है!!
कृति तक हमारी भी बधाई पहुंचे!!
बहुत अच्छा। बहुत बधाई। भविष्य और शानदार हो।
बहुत बधाई!!! कृति खूब तरक्की करें, अनेकों शुभकामनायें.
कृति बिटिया को हमारा ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद पहुँचे।
बहना को मेरी तरफ से ढ़ेर सारी बधाई
बहुत बहुत बधाई - मनीष [ वैसे ये तो शुरुआत है - अब सुनियेगा काम के किस्से भी - उनमें ज्यादा चकल्लस होती है ]
भाव विभोर कर दिया आपने.. अपने ही घर की बात लगी.. बधाई स्वीकार करे
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