Saturday, November 10, 2007

सपने में देखी सुनीता जी की पार्टी

सपने में देखी सुनीता जी की पार्टी


समीर जी के स्वागत में सुनीता जी ने जो पार्टी रखी थी उसमें क्या-क्या होगा उसकी कल्पना करते-करते ना जाने कब आँख लग गई। भला हो सपनों का, जो काम सहज ना होता हो वो सपनों में चुटकी बजाते ही सम्पन्न हो जाता है। तो सुनिए आप भी हमारी स्वप्नदर्शी पार्टी का आँखों देखा हाल-

धीरे-धीरे रंग पार्टी का जमने लगा है,
कोई गलबहियां डाले तो,
कोई चहक-चहक कर मिला,
पर जो भी मिला खूब गर्म जोशी से मिला।
सुरुर जमने लगा और सुगबुगाहट शुरु हो गयी।

कहीं से एक आवाज़ उठी और भीड में खो गई,
थोडी ही देर में उसी प्रश्न को हमने लपक लिया,
"समीर जी इतनी सारी टिप्पणीयाँ करने और पढने का समय कैसे निकालते हैं?
समीर जी ने अपना प्रिय काला चश्मा उतारा,
कनखियों से हमें निहारा
और बोले नादान "सीसीपी" का जमाना है
हम ठहरे लिपट अज्ञानी,
गावदी की तरह आँखें झपकाई और दोहराया "सीसीपी"
समीर भाई मुस्कुराये, धीरे से बुदबुदाये
"कट,कापी और पेस्ट"।

हम बलिहारी थे
और अपनी अक्ल पर पानी-पानी थे।
काश पहले जान जाते,
समीर जी की जगह लोगों की ज़ुबां पर अपना नाम पाते,
पार्टी उनके सम्मान में नहीं ज़नाब हमारे लिये हो रही होती,
तभी ज्ञानदत्त जी पर नजर पडी-
हम तपाक से मिले पूछा -
इतनी विविधता कहां से लाते है?
रोज़ ब्लाग पोस्ट करने का टाइम कहां से पाते हैं?
वो थोडा सा सकपकाये फिर,
उन्होनें ऊपर से नीचे तक निहारा
और तपाक से बोले- "सरकारी मुलाज़िम हूँ इतना तो जानते हैं"।

काश धरती फट जाती और हम उसमें समा जाते,
अपनी कम अक्ली पर लोगों के तानों से तो बच जाते।

भीड में सारथी जी हर किसी को
ब्लागरी करने और पढने के लिये
"मोटिवेट" करते नजर आये।
जिस हिसाब से लोग प्रभावित थे
उस हिसाब से ब्लागर्स की संख्या
दस हजार की जगह
पंद्रह हजार का आंकडा छूयेगी
हम प्रभावित थे उनके डेडिकेशन से।

दूर नजर पडी संजीत जी पर
ज़नाब मजमा जमाये थे-
गोपियों की भीड में
कान्हा से जमे थे-
मुँह में पान भरे थे,
किसी बात पर बोले
"अपुन साला तो ऐसइच है"।

काकेश जी गुरु मंत्र दे रहे थे,
संजय गुलाटी जी हस्तरेखा व ज्योतिष का ज्ञान सबमें बाँट रहें थे।
एक ओर शैलेष जी,राजीव जी व गिरीराज जी
हिन्दयुग्म की "पब्लिसिटी" में लगे थे
दूसरी ओर अनिता जी सौम्य सी,
ऑर्कुट को ज्वाइन करने के फायदे गिना रही थी।
भई हम उनसे सौ प्रतिशत सहमत हैं,
"ना ये बात होती
ना वो बात होती"
वाला आलम हम भी जानते हैं,मानते हैं।
दुहाई हो ऑर्कुट की जिसने आप जैसे मित्रों से मिलाया।

सुनीता जी उस घडी को कोस रहीं थी जब उन्हें पार्टी देने का आइडिया आया। बाकी सब मेलमिलाप में व्यस्त थे और वो बेचारी ग्यारह साल के कवि अक्षत के साथ एक पाँव से चक्करघिन्नी बनी हुई थी। काश ये एहसास पहले होता तो समीर जी से औपचारिक मुलाकात ही कर लेती, थोडे बहुत गुरु-मंत्र पा लेतीं।

तौबा मत करिये जनाब आज बस इतना ही थोडे दिनो के बाद जब आप सब हमें झेल पाने का धैर्य फ़िर से पा लेंगे, तब पुनः उपस्थित होंगे और इस स्वप्नदर्शी पार्टी का शेष हाल सुनायेंगें।



(यह रचना सिर्फ़ मौज-मस्ती के मूड में लिखी गई है, आशा है इसे पाठक या अन्य कोई भी, अन्यथा नही लेंगे।)

19 comments:

काकेश said...

सही सपना है जी.

हमारा गुरुमंत्र ले लीजिये.

कवि एक गुब्बारे की तरह है.गुब्बारा हवा से फूलता है कवि वाह से. हवा निकलने पर दोनों खाली हो जाते हैं.

मीनाक्षी said...

अनुराधा जी, आपने हमें नहीं देखा !! ,,, हम कोने में बैठे आपकी चुटकियाँ का आनन्द ले रहे थे...काश कि यह स्वप्न सच हो पाता तो आनन्द चार गुना और बढ़ जाता !!!!!!

Rachna Singh said...

hamaaari aatam vahi per thii , aapne nahin dekah kya , ab kavito toh aatma ka hee swaroop haen

परमजीत सिहँ बाली said...

आप के सपनें में बहुत से चिट्ठाकार छूट गए हैं...काश! एक बर फिर सपना देखे आप...और सभी से मिल लेते...।;(
बहुत बढिया लगा...साथ ही आप की लिखी रचना भी।

विनोद पाराशर said...

अनुराधा जी,
अभी दो रातें बकाया हॆं,कॊशिश कीजिए लाफ़्टर चॆलेंज-२ ऒर लाफ्टर चॆलेंज-३ की तरह,सुनीता जी की पार्टी में,कुछ नये चहरे नजर आ जायें.

mamta said...

मस्त और जबरदस्त !! :)

पुनीत ओमर said...

आप लोग कितना भी चुटकी ले लें पर समीर जी को मैं आश्वस्त किए देता हूँ की मेरे होते हुए वो एकदम परेशां ना हो, अगर कुछ ऐसा वैसा हुआ तो समीर जी के प्रशंसक भूख हड़ताल करने को तैयार बैठे हैं.

Shiv said...

समीर जी ने भेद खोल दिया!
ये सीसीपी वाला आईडिया
आपको बोल दिया
ये तो अच्छा गुरुमंत्र है
वैसे आईडिया अच्छा है
हम लें या न लें
हमारी लेखनी स्वतंत्र है

ज्ञान भइया, तो ऐसा ही करते हैं!
सरकारी मुलाजिम होने का
केवल दम भरते हैं
मैंने तो बस यही देखा है
कि; एक भी काम
सरकारी मुलाजिम जैसा
कभी नहीं करते हैं
ब्लॉग पोस्ट लिखने के लिए
सुबह चार बजे उठ जाते हैं
ब्लॉगर मित्र सोचते हैं
सरकारी मुलाजिम को
काम ही क्या है
आफिस में बैठे-बैठे
ब्लॉग पोस्ट लिखते हैं
और दूसरों की पोस्ट पर
टिपियाते जाते हैं

हमें नहीं मालूम था कि;
संजीत जी भी
पान नोश फरमाते हैं
पान खाने वाला
अच्छा इंसान होता है
हम कह रहे हैं क्योंकि;
हम भी शौक से
पान ही चबाते हैं

काकेश जी का गुरुमंत्र
बिल्कुल ही फिट है
जिसने भी ले लिया
पूरी तरह से छाया है
ब्लागिंग की दुनिया में
वही सबसे हिट है

वैसे मैं बताता हूँ एक बात
जो आपने मिस कर दी
सारथी जी की हस्तरेखा
गुलाटी जी पढ़ रहे थे
ब्लागिंग का भविष्य
मन ही मन गढ़ रहे थे
हाथ देख कर बोले
आपका सोचना है बिल्कुल सही
अभी से बना लीजिये
खाता बही
अगले दो सालों में
हिन्दी चिट्ठाकारों की संख्या
एक लाख हो जायेगी
एक एक चिट्ठाकार
लिखेगा तीन-तीन चिट्ठे
इस हिसाब से चिट्ठों की संख्या
तीन लाख होगी
और दुनिया की भाषाओं में
हिन्दी की अपनी साख होगी

सुनीता जी ने अच्छा किया
जो ये सम्मेलन बुलाया
और आपका धन्यवाद कि;
आपने जो सपने में देखा था
हम सबको बताया

Sanjeet Tripathi said...

वाह वाह!! तो हम कन्याओं के ही नही बल्कि महिलाओं के सपने मे भी आते है चाहे किसी भी रुप में! खुशी हुई जानकर!!
ज़रा ये भी बताया जाए कि आपके सपने में हम किन गोपियन से घिरे थे, ताकि उन पर हम जरा ट्राय कर लें पान खा के!!

मस्त लिखा है आपने!!

अनूप शुक्ल said...

बड़ी शानदार पार्टी हुयी भाई।

Anita kumar said...

अनुराधा जी क्या बात है, बहुत ही सुन्दर सपना देखा आपने , पर दूसरे सपने का इंतजार है, कई और ब्लोगर्स लपेटने बाकी है और हां संजीत की टिप्पणी का आप क्या जवाब देती है वो भी उत्सुकता है, बोलिए बोलिए हम आप के साथ हैं।

गिरिराज जोशी said...

अच्छी मौज ली है, मजा आ गया...

Batangad said...

अगला हिस्सा कब आएगा।

Unknown said...

http://hariprasadsharma.blogspot.com/

please read my poem maa kyu rotee hai.
gtalk per invite keejiye harisharmaster is my id i am online

राज यादव said...

अनु जी ,
काफी मन से लिखा है आपने.बहुत ही अच्छा लिखा है ..बहुत पहले एक सोंग अल्ताफ रजा का आया था ,तुम तो ठेःरे परदेशी.... लास्ट टोन थी "लेकिन मई जब आयी जलने लगा.....खैर अच्छी रचना है ...समीर जी ने तो कमेंट कर के और भी जान दाल दी है .

पारुल "पुखराज" said...

isey kahtey hain....."heeng lagey na fitkari rang chokhaa hi chokhaa"
humto party mai ho gaye..abhaar anuraadha ji

Unknown said...

maja aaya

Unknown said...

maja aaya maja

Divine India said...

वाहSSSवाहा क्या अद्भुत सपना है… सभी को लपेट लिया और अंत में माफी भी… ;)
मुझे तो आपकी यह रचना व्यंग के रुप में बहुत पसंद आई…।