Friday, October 26, 2007

मार्निंग वाक और हम

रोज आँख खुलते ही एक बहस शुरु हो जाती थी ।आलस्य त्यागों और मार्निंग वाक शुरु करो कभी आइने में खुद को निहार लिया करो। दिन दूनी रात चौगुनी फैलती जा रही हो पति देव की सुबह आजकल इन्हीं भाषण के साथ शुरु होती थी । हम भी पक्के मठ्ठूस एक कान से सुनते और दूसरे से बडी शान्ति से निकाल दिया करते।
पर आज तो अति हो गई वो तो पूरे हाथ-पैर धो कर पीछे पड गए । उठो वाक पर जाऔ . नहीं कोई बहाना नहीं आज से रोज जाना है। अरे भई , ये तो हमारी मर्जी जायें जायें ना जायें तो ना जायें। नहीं, बहुत चला ली अपनी मर्जी अब और नहीं ।जाना है, मतलब जाना है। मिसेज शर्मा को देखा तुमसे बडी हैं पर तुमसे कितनी छोटी लगती हैं ।कितना मेन्टेन किया हुआ है। ऒह ,तो अब हम तुम्हें दूसरी औरतों के सामने गये बीते लगने लगे हैं। अरे, मेरा मतलब ये तो नहीं था पतिदेव थोडा हिचकिचा गये । ये नहीं वो नहीं तो फिर क्या मतलब था ? मूहँ बिसूरते हुए बोली सीधे से बोलो ना।
अरे मैं चाहता हूँ तुम थोडी दुबली हो जाऔ बस। जब पतली थी तब प्राब्लम थी कहते थे यार थोडी सी चर्बी चढा लो,थोडी सी बोला था ये तो नहीं कहा था ना कि सारी दुनियाँ की चर्बी अपने ऊपर चढा लेना, अब हम भी पूर्ववत ढिठाई पर आते हुए बोले क्या फर्क पडा डिजिट ही तो बदले हैं पहले ३६ थे अब ६३ है बस इतना सा तो। फिर सोचो, नानी बनेंगें तो कितने ग्रेसफुल लगेंगे। आजकल की नानियों की तरह नहीं की नानी कौन सी है और मौसी कौन सी कुछ पता ही नहीं चलता।
धन्य हो पतिदेव खीझे स्वर में बोले। जैसी मर्जी करो ,कान पकडे मैंने ,अब नहीं कहूँगा आगे कभी भी घूमने जाऔ या एक्सरसाइज करो जितना चाहे खाऔ और मुटाऔ। ऒर सुन लो तुम भी आगे कभी भी कहा ना घुटने में दर्द है तब बताऊँगा।
बात इस तरह का रुप ले लेगी हमें अनुमान ना था।सोचा था थोडा तर्क-कुतर्क करके जान बचा लेंगें।पर यहाँ तो रुख ही बदल गया था। मन ही मन प्रण किया की अगली सुबह से वाक शुरु करके ही दम लेंगें।पूरी रात खुद को याद दिलाते रहें खैर सुबह उठ कर सैर पर भी गई।लेकिन दस मिनिट बाद वापिस घर पर , पतिदेव हमें जाते देख बडे सन्तुष्ट लग रहें थे लेकिन इतनी जल्दी वापिस आया देख थोडे खिन्न भी लगें। मैं धीरे से भुनभुनाई हम से अकेले नहीं घूमा जाता क्या करें? ये पुरानी आदत है तुम भी जानते हो ना।ठीक है कल से मैं भी चलुँगा तुम्हारे साथ। अगली सुबह हम से पहले उठ कर जनाब तैयार थे जैसे किसी जंग में जाना है। मन मार कर हम भी चल दियें। चलो आज एक नये गार्डन में चलते है ये बोले ।
हमारी शक्ल देख कर कोई भी जान जाता जैसे बकरा हलाल करने के लिये ले जाया जा रहा हो बिल्कुल वैसी सुरत बना रखी थी। साथ चलो और थोडा तेज चलो । कैसे चलूँ ? तुम तो लम्बे हो मैं नहीं चल सकती इतनी तेज। कोशिश तो करो ये थोडे खीझे स्वर में बोले। थोडी देर तो हमने कदम से कदम मिलाने की कोशिश तो करीं। फिर पीछे-पीछे पैर घसीटते हुए चल दिये। एक चक्कर पूरा करते ही धम्म से बैठ गये ।
थोडी देर बाद आस-पास नजर दौडाई तो पाया हमारे जैसे सेहतमन्द लोगों की कमी नहीं है।देख कर थोडी तसल्ली हुई। कुछ ही दूरी पर कुछ बाबा रामदेव जी की चेलियाँ बडे ही अजीबोगरीब व हास्यास्पद तरीके से योगा कर रही थी। देख कर अच्छा लगा। कुछ युवाऒं की टोली भी थी जो आइपाड पर जोर-जोर से "धूम मचा ले धूम" सुनते हुए जागिंग कर रही थी। तब तक पतिदेव आ गये कैसा लगा? आते ही प्रश्न उछाल दिया। "ठीक"। कल भी आना है।
हमें अब यहां वाक पर आते हुए लगभग पंद्रह दिन हो गये है कुछ सहेलियां भी बन गई हैं ।एक राज की बात है हमने भी छाँट-छाँट कर अपने से ज्यादा मोटी महिलाऒं से दोस्ती करीं है जब हम अपनी सहेलियों के साथ पतिदेव के सामने से निकलते हैं तो बडी शान से निकलते हैं देखो हमें कितने फिट हैं ।आज तो हद हो गई जब घर लौटते वक्त उन्होनें भरपूर नजर डाल कर कहा तुम्हारी थोडी चर्बी तो कम हुई यहाँ आने से। हाँ और मन ही मन मुस्कुरा उठे ।जानते हैं क्यों ? हमारी चाल जो कामयाब रही। अगर आपसे मोटे लोग इर्द-र्गिद हो तो उनके समूह में शमिल हो जाइये खुद के पतले होने का अहसास हमेशा आपके पास होगा। साथ ही घर वालों को फक्र से बता सकेंगें कि आप अभी भी फिट हैं । हमारी सलाह पर अमल करके देखिये तानों से तो बचेंगें ही साथ ही तारीफ भी पायेंगें।

7 comments:

गरिमा said...

सुझाव तो बढ़िया दिया है आपने, पर मानिंग वॉक पर जाना चाहिये, चर्बी का तो नही पता, लेकिन पुरे दिन फ्रेश रहने के लिये नायाब तरीका है :)

SahityaShilpi said...

अरे वाह, अनुराधा जी!
आप समझदार हैं, ये तो पता था; पर चालाक भी हैं, ये अब मालूम पड़ा. अच्छा लगा पढ़कर. हाँ, अभी फिलहाल मेरे किसी काम का नहीं है. :)

Atul Chauhan said...

बहुत सजीव चित्रण किया है। जज्बातों की शब्दावली काबिले तारीफ है। यही ब्लाग लेखन की असली विधा है। वरन आज आप जानती हैं कि ब्लागरी में आज क्या छप रहा है।

Udan Tashtari said...

अब आप कह रहीं हैं तो हम भी आजमाते हैं यह कारगर नुस्खा. ढ़ूँढ़ता हूँ कुछ बेहतरीन मोटी महिलाओं को. :)

Sanjeet Tripathi said...

वाह क्या बात है!!
मस्त!!

मीनाक्षी said...

कमाल का लेखन ! जैसे आप नहीं हम कह रहे हों.... लाखो बार धन्यवाद...अब हम भी कुछ ऐसे ही दोस्त खोजना शुरु करेगे जो हमसे....... !
आज का अंतिम ब्लॉग आत्मसात करने के बाद चैन की नींद ! :) :)

Devi Nangrani said...

Anuradhaji
aaapka ek ek silsila bahut hi pasand aaya.
Khoob ache subjects par roshni dali hai
Badhayi ho

Devi