tag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post7613499388611067697..comments2023-05-29T15:50:18.670+05:30Comments on अंतर्मन: "उफ्फ ये मीडिया"anuradha srivastavhttp://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-35490186722614214252008-01-30T17:16:00.000+05:302008-01-30T17:16:00.000+05:30mere paasa to TV hai nahi aur main khridane kaa so...mere paasa to TV hai nahi aur main khridane kaa socha bhi nahi rahaa hoon.. hama to bhai apane laptop par kit-pita kara hi khus hain..<BR/>vaise sahi baat to ye hai ki mere paas TV dekhane kaa samay bhi nahi hai..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-68659736810532527922008-01-04T17:15:00.000+05:302008-01-04T17:15:00.000+05:30इसका औचित्य तलाश करने के बद्ले हमें ये सोचना है कि...इसका औचित्य तलाश करने के बद्ले हमें ये सोचना है कि बच्चों को इस विनाश से कैसे बचाएं। अगर ये सोच कर बैठे कि मिडिया वालों की आत्मा जागेगी तो बेवकूफ़ी होगीAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-42727386659328122732008-01-01T22:09:00.000+05:302008-01-01T22:09:00.000+05:30अनुराधा - आपको, परिवार, परिजनों को २००८ की बहुत शु...अनुराधा - आपको, परिवार, परिजनों को २००८ की बहुत शुभकामनाएं - आप ज्यादा लिखें और हम ज्यादा पढ़ें (आप को नहीं लगता दो पोस्टों के बीच अंतराल थोड़ा ज़्यादा है - इंतज़ार है) - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-57130435001803343602008-01-01T19:23:00.000+05:302008-01-01T19:23:00.000+05:30आप और आपके परिवार को नव-वर्ष की ढेरों सारी शुभकामन...आप और आपके परिवार को नव-वर्ष की ढेरों सारी शुभकामना,और बधाई.<BR/><BR/><A HREF="http://www.hindisagar.com" REL="nofollow">Hindi Sagar</A>Ravi yadavhttps://www.blogger.com/profile/09259127624882263997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-1973187905765134692007-12-27T17:55:00.000+05:302007-12-27T17:55:00.000+05:30अनुराधाजी, ये आपकी सदाशयता है कि आप सद्बुद्धि के ल...अनुराधाजी, ये आपकी सदाशयता है कि आप सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करना चाहती है। एक मीडियाकर्मी होने के बावजूद मैं यही चाहता हूं कि इलेक्ट्रानिक मीडिया को ठोकरें खाकर संभलना होगा तो संभल जाएगा वर्ना इसे अपनी मौत मर जाना चाहिए।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-69796919740193333242007-12-24T15:15:00.000+05:302007-12-24T15:15:00.000+05:30सच कहा आपने, अनुराधा जी! बाज़ारवादी संस्कृति के आगे...सच कहा आपने, अनुराधा जी! बाज़ारवादी संस्कृति के आगे आज शायद जीवन-मूल्य पूरी तरह से गौड़ हो गये हैं, उसी का एक रूप यह भी है.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-82679384149234312122007-12-23T13:56:00.000+05:302007-12-23T13:56:00.000+05:30"इस तरह के कायर्क्रम का औचित्य क्या है ? ये हमारी ..."इस तरह के कायर्क्रम का औचित्य क्या है ? ये हमारी समझ के बाहर की बात है। आपको पता हो तो प्लीज़ हमें भी समझा दीजियेगा।"<BR/><BR/>हम समझाये देते हैं. इन कार्यक्रमों का उद्धेश्य जनता की मदद या मनोरंजन नहीं बल्कि उनका अपना स्वार्थ है. इसके लिये वे जितने असामान्य कार्य कर सकते हैं उतना करेंगे. <BR/><BR/>जनता बेवकूफ होती है. वे इनके पीछे भागते है. आप जैसे कम हैं जो "औचित्य" के बारे में सोचते है -- शास्त्री <BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.<BR/>हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !<BR/>मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी <BR/>लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-61806048785453401062007-12-22T19:52:00.000+05:302007-12-22T19:52:00.000+05:30ek baat yad rakhie. kisi aisi bat ko prachar ki ko...ek baat yad rakhie. kisi aisi bat ko prachar ki koi jarurat nahin hoti jo dekhe, samjhe ya jane jane layak hai. prachar ki jarurat unhi karyakramon ko jyada hoti hai jinme koi sarthak bat n ho - jaise nag-nagin ya bhut-preton wale karyakram, sas-bahu taip serial, filmi hero-hiroino ko lekar uthe vivad ... adi-adi. age se ap khud inke jhanse me ane se bache aur dusron ko bhi sahi ray dekar bachaen to hi apke is post ki sarthakta siddh hogi.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-39958305709813043482007-12-22T11:01:00.000+05:302007-12-22T11:01:00.000+05:30अनुराधा जी मैं उसी कौम का हिस्सा हूं जिसके बारें ...अनुराधा जी मैं उसी कौम का हिस्सा हूं जिसके बारें में आपने लिखा है, लेकिन मैं चाह कर कुछ नहीं कर सकताAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-18343864780715703502007-12-20T22:05:00.000+05:302007-12-20T22:05:00.000+05:30आजकल टी वी और फिल्में जहां क़त्ल,बलात्कार, जुर्म क...आजकल टी वी और फिल्में जहां क़त्ल,बलात्कार, जुर्म की दुनिया का क्रियात्मक खुलासा, शारीरिक अश्लीलता, खलनायक की भव्यता और ग्लैमर इन तस्वीरों में होते हुए भी युवा दर्शकों की आंखों की राह से गुज़र कर सीधे मस्तिष्क की चेतना को झंकारने लगते हैं। जो व्यक्ति एक चिड़िया के घायल होने पर द्रवित हो जाता था, इन फिल्मों को देख देख कर हत्या और बलात्कार का आदि हो जाता है। <BR/>1986 में ह्यूसमैन एंड ऐरन ने 22 वर्ष के अध्ययन से निष्कर्ष निकाला कि 8 वर्षीय बालक जो हिंसात्मक फिल्में देखते थे, 30 वर्ष की आयु तक किसी न किसी हिंसात्मक-अपराध में पकड़े गये थे। स्थिति कुछ सांप और छछूंदर जैसी है।टीवी ना तो फेंका जा सकता है और इसके बिना चारा भी नहीं।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-24219003292029724892007-12-20T15:43:00.000+05:302007-12-20T15:43:00.000+05:30प्रार्थना छोड़ कर दूसरा कोई उपाय भी नही है.वैसे सदब...प्रार्थना छोड़ कर दूसरा कोई उपाय भी नही है.<BR/>वैसे सदबुद्धि तो इनको प्रार्थना से भी शायद ही आए.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-20859650347844762602007-12-20T13:55:00.000+05:302007-12-20T13:55:00.000+05:30aapki chinta ekdum jayaz hai.aapki chinta ekdum jayaz hai.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-24423377053147460812007-12-20T11:47:00.000+05:302007-12-20T11:47:00.000+05:30शायद इसी "गेम" के चलते मुंबई के एक छात्र की जान गई...शायद इसी "गेम" के चलते मुंबई के एक छात्र की जान गई दो एक दिन पहले ही। उस छात्र के माता पिता का बयान था कि उनका बेटा इंटरनेट के माध्यम से ऐसे किसी समूह के संपर्क में आया था जो इस "चोकिंग" नाम के गेम या खुशी के एहसास दिलाने के खेल को बढ़ावा देता है।<BR/><BR/>अगर मीडिया इस तरह के प्रयासों को बढ़ावा देता सा लग रहा है तो निश्चित ही यह गलत ही नही बल्कि अफसोसजनक है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-56343715296707917972007-12-20T11:39:00.000+05:302007-12-20T11:39:00.000+05:30अनुराधा जीटीवी, जिसका उपयोग विकास में किया जाना चा...अनुराधा जी<BR/>टीवी, जिसका उपयोग विकास में किया जाना चाहिए था विनाश में किया जाने लगा है. सारे धारावाहिक रिअलिटी शो और नाच गाने के कार्यक्रम समाज को कुछ अच्छा नही दे रहे बल्कि सच तो ये है की ये पूरे समाज के रूप को विकृत ही कर रहे हैं. अब अगर देखने वाले संवेदनशील नहीं रहे तो दिखाने वाले को शर्म कैसी? टीवी अब व्यापार का बहुत बड़ा माध्यम बन गया है और जो चीज़ बजारू हो जाए उससे किसी सुधार की अपेक्षा रखना मूर्खता है.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-11363025106419494652007-12-20T09:55:00.000+05:302007-12-20T09:55:00.000+05:30अपुन ने तो टीवी देखना ही छोडा हुआ है आजकल...कुछ एक...अपुन ने तो टीवी देखना ही छोडा हुआ है आजकल...<BR/>कुछ एकता कपूर सरीखे सीरियलों की वजह से..और कुछ बिना समाचार के चलते समाचार चैनलो की वजह से ऐसा विरक्ति भाव उत्पन हुआ है टीवी की तरफ ताकने का मन ही नहीं करता.....राजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-292447786408599636.post-39015688755260357062007-12-20T06:00:00.000+05:302007-12-20T06:00:00.000+05:30आपने टेलीवीजन पर प्रदूषण को सही रेखांकित किया अनुर...आपने टेलीवीजन पर प्रदूषण को सही रेखांकित किया अनुराधा जी। यही कारण है कि कुछ वर्षों से मैं टीवी देखता ही नहीं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com